मिट्टी का तन मस्ती का मन क्षणभर जीवन मेरा परिचय! and मेरे गुनाहों को वो कुछ इस कदर धो देती है, बहुत गुस्से में होती है माँ,तो रो देती है... इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ, सबको अपना कह सकूँ, ऐसा ठिकाना चाहता हूँ, टूटे तारों को जोड़ कर, फिर आजमाना चाहता हूँ, बिछुड़े जनों से स्नेह का, मंदिर बनाना चाहता हूँ. हर अन्धेरे घर मे फिर, दीपक जलाना चाहता हूँ, खुला आकाश मे हो घर मेरा, नही आशियाना चाहता हूँ, जो कुछ दिया खुदा ने, दूना लौटाना चाहता हूँ, जब तक रहे ये जिन्दगी, खुशियाँ लुटाना चाहता हू. मैं न जानू की कौन हूँ मैं, लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं, मैने तो प्यार सबसे किया, पर न जाने कितनो ने धोखा दिया। चलते चलते कितने ही अच्छे मिले, जिनने बहुत प्यार दिया, पर कुछ लोग समझ ना सके, फिर भी मैने सबसे प्यार किया। दोस्तो के खुशी से ही खुशी है, तेरे गम से हम दुखी है, तुम हंसो तो खुश हो जाऊंगा, तेरे आँखो मे आँसु हो तो मनाऊंगा। मेरे सपने बहुत बढे़ है, पर अकेले है हम, अकेले है, फिर भी चलता रहऊंगा, मजिंल को पाकर रहऊंगा। ये दुनिया बदल जाये पर कितनी भी, पर मै...